/Uttarakhand/Hindu temple

Krittiwasheshwar Temple कृत्तिवाशेश्वर मंदिर

PCHR+9Q4, Uttarkashi, Uttarakhand 249193, India

Hindu temple
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Vivek Kuriyal
Vivek Kuriyal
कृत्तिवशेस्वर नामक यह मंदिर उत्तरकाशी में स्थित विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित है। कृत्तिवाशेश्वर के संबंध में कथा है कि प्राचीन काल में एक विशाल हाथी था जिसका नाम गजासुर था, भगवान ब्रह्मा का वरदान प्राप्त करके वह बहुत शक्तिशाली हो गया व अमर जैसा ही हो गया। उसे वरदान में यह प्राप्त था कि उसे कोई ऐसा न मार सके जिसने कामदेव को अपने वश में न कर रखा हो। अब वह मदान्ध होकर भगवान शिव को हराने चल पड़ा। महादेव-शिव के पास पहुंच कर गजासुर ने कहा, हे महादेव आप स्वयं को मेरे आधीन कर लीजिए, और मेरी क्षत्रछाया में आ जाईये। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल की नोक पर उसे बींधकर आकाश में ऊपर की ओर कर दिया। त्रिशूल पर टंगा हुआ था त्रिशूल से कहीं ज्यादा विशाल हाथी, जिस कारण तिरशूल व हाथी की आकृति छाते जैसी बन गई। भगवान शिव पर व उनके आसपास के इलाके पर हाथी की छाया पड़ने लगी। स्वयं को त्रिशूल पर टंगा देखकर और महादेव-शिव को अपने नीचे पाकर वो बोला "आखिर! महादेव-शिव आप मेरी छत्रछाया में आ ही गए"। महाशिव उसकी इस बात पर प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा। उसने वरदान मांगा कि महादेव उसकी चमड़ी उतार लें और सदा के लिए उसे धारण (wear)करके उस पर कृपा करें। इसपर महादेव ने कहा कि मैं तुम्हारी इच्छा का सम्मान करता हूँ। क्योंकि तुमने मोक्ष प्राप्त करने के लिए, अपने लिए मेरे द्वारा दी जाने वाली मृत्यु को चुना, इसलिए तुम्हारी चर्म को मेरे शिवलिंग पर धारण करूंगा और खुद को सदा के लिए तुम जैसे भक्त की क्षत्रछाया में रख लूंगा। तुम्हारी चर्म शिवलिंग के साथ एकरूप हो जाएगी, और तुम कृत्तिवशेस्वर के नाम से मेरे स्वरूप में ही पूजे जाओगे। उत्तरकाशी में इस मंदिर के समीप त्रिशूल शक्ति-मंदिर में स्थापित है। मंदिर से कुछ दूर कृत्तिवाशेश्वर भी विराजमान हैं। कृत्तिवाशेश्वर जी के दर्शन(worship) काशी विश्वनाथ जी के साथ अनिवार्य हैं।
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